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पुराने कस्टम्स हाउस के भवन की आधारशिला लॉर्ड हेस्टिंग्स 6 ने 12 फरवरी 1819 को रखी थी।यह नदी के किनारे स्थित था और कलकत्ता पोर्ट में व्यापारिक जहाज के लंगरगाह के करीब ही था।
जून 1892 में कलकत्ता डॉक पर पहला जहाज पहुंचा। यह एक पुर्तगाली जहाज था जिसने लगभग 450 वर्ष पहले गार्डेन रीच लंगरगाह का पहली बार प्रयोग किया था। तब से गार्डेन रीच लंगारगाह का प्रयोग समुद्री गतिविधियों के अवसर पर होता था। सन् 1759 एवं 1782 के बीच लॉर्ड कॉर्नवालिस ने डायमंड हार्बर लंगरगाह का निर्माण कराया, जबकि कलकत्ता जेटि उन्नीसवीं सदी के मध्य में चालू की गई।
सन् 1899 में कस्टम्स हाउस का नवीकरण किया गया और जहॉं पहने इसका निर्माण किया गया था वहीं उसकी पुन: स्थापना की गई। इसके पास अब करीब सात बीघे का एक विस्तृत क्षेत्र था। अतिरिक्त निर्माणकार्य के लिए सन् 1890-91 में रु. 1200 प्रति कट्ठे की दर से जमीन अर्जित की गई।
कलकत्ता कस्टम हाउस सीमा शुल्क समाहर्त्ता के समग्र प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन था जो बाद में इंपीरियल कस्ट्म्स सर्विस का सदस्य बन गया। सीमा शुल्क समाहर्त्ता मुख्य सीमा शुल्क प्राधिकारी की हैसियत से राजस्व बोर्ड के नियंत्रणाधीन था और उन्नीसवीं सदी के उत्तररार्ध में उसकी सहायता के लिए पांच सहायक समाहर्त्ताओं को नियुक्त किया गया। मूल्यनिर्धारण के प्रयोजनार्थ माल का परीक्षण एवं मूल्याकन कार्य अठारह मूल्यननिरूपकों के समूह को सौंपा गया था जबकि तस्करी निवारण हेतु जहाजों की गार्डिंग एवं पोर्ट की पेट्रोलिंग का कार्य अधीक्षक, निवारक सेवा एवं लवण विभाग के नियंत्रणाधीन 205 निवारक अधिकारियों को सौंपा गया था। ये अधिकारी कार्गो के कार्यनिर्वहन, वेयरहाउस आदि में नमक के लादान एवं उतार के प्रभारी भी थे।
सामान्य आयात शुल्क यथामूल्य 5 (पांच) प्रतिशत था अथवा टैरिफ मूल्यन पर था जहॉं मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित होता था।
नई जेटियां चालू की गई एवं माल-अवरतण प्रणाली में एक बुनियादी परिवर्तन लागू किया गया। तत्कालीन अवधि के दौरान उपलब्ध व्यापार सांख्यिकी से यह ज्ञात होता है कि वर्ष 1874-75 में कुल निर्यात टर्नओवर रु.28,60,74,128 था जबकि उस वित्तीय वर्ष में कुल आयात टर्नओवर रु. 25,64,91,902 था और कुल रु. 3,33,30,512 की शुल्क- वसूली हुई थी।